Friday, 3 December 2010

जोशी समाज से

पुरातन काल से ही भारत वर्ष में समाज के आधार पर कार्यो का विभाजन कर दिया गया था जेसे की -: ब्राहमण का कार्य पूजा पाठ क्षत्रिय का काम saमज अवम देश की रक्षा आदि- आदि समय गुजरता गया समाज में भी आये दिन परिवरतन होने लगे योग्यता को महत्त्व दिया जाने लगा विकास की धरा भी बहने लगी शिक्षा का पैसरा भी हर जगह होने लगा वर्तमान में आज हर व्यक्ति स्वतंत्र हें हर व्यक्ति अपनी योग्यता के अनुसार कोई भी व्यवसाय चुन सकता हें कार्य कर सकता हें आज सब स्वतंत्र हें पर वर्तमान के पारिद्रश्य में भी कुछ समाज अपना पेत्रिक कार्य ही कर रहे हें जो की उन्हें विरासत में मिला हें उस कार्य को करने का कारन भी शायद यह हें की वो सब लोग उस कार्य में पारंगत हें अनुभव हें आदत हें और उस कार्य को क्षमता हें पर आज हम विश्व गुरु बन ने को अग्रसर हें आज भारत का नाम विश्व में बड़ी शक्ति के रूप में पहचाना जाता हें और समस्त भारतियों का लक्ष्य होना चाहिए की वह मुख्य धरा में आये और अपनी योगता के अनुसार "नव भारत" निर्माण में अपना-अपना योगदान दे उसके लिए हमे शायद कुछ समस्याओं का सामना भी करना पड़े पर जो भी हें अगर हमे अपनी आने वाली पीड़ी को संभालना हें तो कुछ तो नया करके दिखाना होगा कुछ परिवरतन हुम्हे करना ही होगा .

No comments:

Post a Comment